ज्योतिशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की राशि, उसके स्वभाव और स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है। हर व्यक्ति की राशि तथा उस राशि के स्वामी के गुण के अनुसार ही कोई व्यक्ति शांत स्वभाव का तो कोई क्रोधी यानी उष्ण प्रकृति का होता है। इसका सीधा असर उस व्यक्ति की सेहत पर पड़ता है।
ठीक ऐसी ही मान्यता आयुर्वेद में भी है। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना है। ये पांच तत्व हैं पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश। आप गौर करें तो ज्योतिषशास्त्र में राशियों की भी यही प्रकृति बतायी गयी है। उदाहरण के तौर पर कर्क राशि, मीन राशि को जल तत्व धारण करने वाला कहा गया है।
कुण्डली में जन्म राशि कमज़ोर होता है अथवा अन्य ग्रहों से प्रभावित होता है तो व्यक्ति को अपनी राशि एवं राशि को प्रभावित करने वाले ग्रहों से संबंधित रोग आजीवन पीड़ित करता है। लेकिन इससे छुटकारा पाने के भी कुछ उपाय हैं।
इसके लिए आवश्यक है कि आप अपनी राशि के मुताबिक खुद की प्रवृति और तत्व की प्रधानता का विश्लेषण करें। इसके बाद योग विज्ञान के अनुसार अपनी राशि का ध्यान रखते हुए नियमित योगासन और खान-पान के नियमों का पालन करें। आइए देखें कैसे आप अपनी राशि के मुताबिक खुद को स्वस्थ और एक्टिव रख सकते हैं।
मेषः शवासन करें, तेल, मसाले से बचें
इस राशि का स्वामी मंगल है। मंगल उर्जा और शक्ति का ग्रह होता है इसलिए इस राशि के व्यक्ति काफी जोशीले होते हैं। मेष राशि के लोग जोश की वजह से हमेशा जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं जिससे चोट लगने की आशंका अधिक होती है। इन्हें गुस्सा अधिक आता है, सिरदर्द और अनिद्रा की भी शिकायत होती है। इसके अलावा, मेष से छठी राशि कन्या होने के कारण इन्हें दाद और मुंहासे होने की भी अधिक आशंका रहती है।
अगर आपकी राशि मेष है तो आपको खान-पान में अधिक तैलीय एवं मसालेदार चीजों से परहेज रखना चाहिए। खीरा, मूली, पालक इनके लिए लाभकारी होता है। पानी खूब पीना चाहिए इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही, नियमित योग करना चाहिए। इससे चुस्त-दुरूस्त और तंदरुस्त बने रहेंगे।
अनिद्रा और सिरदर्द से छुटकारे व मानसिक शांति के लिए इस राशि के लोग अगर शवासन करेंगे तो उन्हें बहुत आराम मिलेगा। प्रतिदिन पांच से बीस मिनट तक शवासन करने से शरीर की थकान भी गायब हो जाएगी और नींद भी अच्छी आएगी। इसके अलावा, ध्यान व श्वास संबंधी आसन जैसे अनुलोम-विलोम करके भी इस राशि के लोग अपने गुस्से पर नियंत्रण कर सकते हैं।
वृषः ताजी हवा और हरी सब्जियां जरूरी
इस राशि के व्यक्ति पर शुक्र का प्रभाव होता है। यह अपने विचारों में डूबे रहते हैं। अधिक सोच-विचार करने के कारण यह मानसिक तनाव में घिरे रहते हैं। वृष राशि वालों को मुंह और गले से संबंधित रोग होने की संभावना अधिक रहती है। बुढ़ापे में इन्हें लकवा और जलोदर नामक रोग होने की आशंका रहती है।
इस राशि के लोगों को आराम और सुख की अधिक चाहत रहती है। इनके लिए जरूरी है कि यह नियमित कुछ घंटे ऐसे काम करें जिससे शरीर एक्टिव रहे। खाने में इन्हें अनार, दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां एवं बादाम शामिल करना चाहिए। इन्हें एक्टिव और एनर्जेटिक बने रहने के लिए नियमित योग करना चाहिए।
अगर आपकी राशि वृष है तो आपके लिए शुद्ध वायु में योग या व्यायाम बहुत जरूरी है। गले और मुंह से संबंधित समस्याओं से बचाव के लिए नियमित रूप से जलनेती करें तो लंबे समय तक इन दिक्कतों से दूर रहेंगे। हां, जलनेती बिना किसी जानकार के निर्देशन के कभी न करें। इसके अलावा, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, सिंहासन और ब्रह्म मुद्रा भी उनके लिए लाभदायक है। सुबह की सैर, ध्यान और हल्के व्यायाम को भी वे अगर नियमित रूप से अपने रुटीन में ढालेंगे तो उन्हें आराम मिलेगा व मानसिक तनाव कम होगा।
मिथुनः व्यायाम करें और ज्यादा पानी पिएंबुध की इस राशि वाले व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं। यह एक साथ सकारात्मक और नकारात्मक विचारों में उलझे रहते हैं। अधिक सोच-विचार करने के कारण इनकी पाचन शक्ति प्रभावित होती रहती है। इनके स्वस्थ रहने का एक मात्र राज है खुश रहना। खुश रहने पर यह बड़ी से बड़ी बीमारी पर भी विजय हासिल कर सकते हैं।
मिथुन राशि वालों को पाचन संबंधी परेशानी के अलावा, छाती से संबंधित रोग जैसे सर्दी, जुकाम होने की आशंका अधिक रहती है। अगर कुण्डली में ग्रह स्थिति अनुकूल नहीं हो तो निमोनिया एवं तपेदिक भी हो सकता है। इस राशि वालों को भोजन में ठंडी चीजों का इस्तेमाल कम करना चाहिए। ताजा भोजन करें और अपने खाने में चना, सोयाबीन, अंडा, मौसमी फल शामिल करें तो इस राशि के व्यक्ति खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
मिथुन राशि के लोग अगर नियमित रूप से व्यायाम करें तो छाती, श्वास संबंधी रोगों से दूर रह सकते हैं। इनके लिए सैर, ऐरोबिक्स और स्वीमिंग जैसे व्यायाम लाभकारी हैं। इन व्यायामों के दौरान यह सावधानी जरूर रखें कि अगर आप दमा के मरीज हैं तो व्यायाम कम समय के लिए करें। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि व्यायाम के साथ-साथ आप अधिक से अधिक पानी का सेवन करें।
कर्कः पाचन पर ध्यान दें, वज्रासन और मृगासन करें
चन्द्रमा की इस राशि के व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं और ख्याली पुलाव खूब पकाते हैं। इनके इस स्वभाव का प्रभाव इनके स्वास्थ्य पर होता है। इस राशि से छठी राशि धनु होने के कारण इन्हें कमर और नाड़ियों से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है। पेट संबंधी रोग, डायबिटीज, पीलिया तथा सर्दी, जुकाम भी इस राशि वालों को होने की आशंका रहती है।
इस राशि वालों को अपने भोजन में दूध, दही, फल, सब्जी, सलाद, नींबू और मेवे शामिल करना चाहिए। सुबह उठाकर खाली पेट पानी पीना इनके लिए लाभप्रद रहता है। इस राशि के लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपनी पाचन क्रिया पर ध्यान दें। उनके लिए वज्रासन और मृगासन काफी लाभदायक हैं। मृगासन मधुमेह के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसके अलावा, यह शरीर को सुडौल बनाता है।
सिंहः गरुड़ासन करें, दूध-मेवे खाएं
सूर्य इस राशि का स्वामी है। इस राशि के व्यक्ति को गुस्सा बहुत जल्दी आता है। घूमना-फिरना इन्हें काफी पसंद आता है। इस राशि के छठी राशि मकर है जिसका स्वामी शनि होता है। शनि के प्रभाव के कारण इस राशि के व्यक्तियों को हड्डियों से संबंधित रोग होने की अधिक संभावना रहती है।
पीठ, कमर एवं रीढ़ की हड्डियों में इन्हें तकलीफ रहती है। कुण्डली में सूर्य अनुकूल नहीं होने पर हृदय रोग की भी आशंका रहती है। इस राशि वालों को अपने भोजन में हरी सब्जियां, दूध, फल एवं मेवे शामिल करना चाहिए।
अगर आपकी राशि सिंह है तो पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने वाले योगासन आपके लिए फिट हैं। आपको गरुणासन, वीरासन और नौकासन से फिट रहने में काफी मदद मिल सकती है। गरुड़ासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और जोड़ों के लिए फायदेमंद है।
इसके अलावा, हाइपोथॉराइड के लिए भी यह आसन बहुत फायदेमंद है। हृदय रोगों से दूर रहें इसके लिए सुबह की सैर आपके लिए सबसे जरूरी है इसलिए इसकी अनदेखी न करें।
कन्याः सूर्य नमस्कार करें, नियमित सलाद लें
बुध की इस राशि के व्यक्ति व्यक्ति कलात्मक विचारों वाले होते हैं। इनके अंदर सेवा की भावना अधिक होती है। इस राशि के व्यक्तियों को त्वचा संबंधी रोग जैसे मुंहासे, दाद होने की संभावना अधिक रहती है। पाचन शक्ति कमज़ोर होती है। इस राशि से छठी राशि कुंभ होती है। इस राशि वालों को पीठ की छोटी हड्डियों में तकलीफ हो सकती है।
कन्या राशि वालों को अपने भोजन में तैलीय एवं मसालेदार चीजों का प्रयोग कम करना चाहिए। इन्हें अपने भोजन में खीरा, मूली, टमाटर, हरी सब्जियां शामिल करना चाहिए। इसके अलावा अधिक से अधिक पानी का सेवन करें जिससे पाचन क्रिया सुचारू रहेगी और त्वचा संबंधी समस्याएं कम होंगी।
अगर आपकी राशि कन्या है तो आपके लिए सूर्य नमस्कार सबसे कारगर है। इसके अलावा, आप ध्यान, शवासन व वज्रासन आदि आसन कर सकते हैं। इन आसनों से आप खुशहाल व तनावमुक्त तो रहेंगे ही, साथ ही आपकी पाचन क्रिया भी सही होगी और त्वचा भी दमकेगी।
तुलाः नशीली चीजों से बचें, गाजर व मटर का सेवन करें
तुला राशि का स्वामी शुक्र है। इस राशि के व्यक्ति सजने-संवरने के शौकीन होते हैं। इनमें काम की भावना अधिक पायी जाती है। इस राशि से छठी राशि मीन राशि होती है। इस राशि वालों को डायबिटीज, पथरी, गुर्दे का रोग एवं गुप्तांगों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं होने की आशंका रहती है।
तुला राशि वालों को नशीली चीजों से परहेज रखना चाहिए। तैलीय और चिकनाई वाले पदार्थ का सेवन कम करना चाहिए। गाजर, चुकंदर, मटर, अंजीर और दूध का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए उत्तम रहता है।
पथरी व गुर्दे की समस्याओं से बचाव के लिए आप हलासन, धनुरासन, योगमुद्रासन, भुजंगासन, शलभासन और पश्चिमोत्तानासन कर सकते हैं।
वृश्चिकः साग और हरी सब्जियां खाएंमंगल की इस राशि का स्वामी है जो रक्त का कारक भी माना जाता है। इस राशि के व्यक्तियों को रक्त से सबंधित रोग होने की आशंका रहती है। वृश्चिक राशि की महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव एवं कष्ट होता है। अगर मंगल की स्थिति अच्छी हो तो इसमें कमी आ सकती है। इस राशि से बारहवीं राशि तुला होती है इससे नेत्र संबंधी रोग होने की संभावना अधिक रहती है।
इस राशि वालों को अपने भोजन में साग और हरी सब्जियों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। पपीता, चुकंदर, पालक भी इनके लिए लाभप्रद होता है। इस राशि की महिलाओं को अगर पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द या पीरियड्स में अनियमितता होती है तो वे हनुमानासन व रजो मुद्रा से आराम पा सकती हैं।
धनुः झुककर न चलें, सर्वांग आसन करें
इस राशि के स्वामी गुरू हैं। इस राशि वाले अगर अपने पोश्चर पर ध्यान न दें तो झुककर चलने की आदत पड़ जाती है जिससे रीढ की हड्डियों एवं कमर में तकलीफ होती है। इन्हें वायु विकार, गठिया, साईंटिका और लिवर से संबंधित रोग होने की भी अधिक संभावना रहती है।
इस राशि वालों को हल्का भोजन करना चाहिए। इन्हें अपने भोजन में दूध, दही, चना, केला एवं पपीता शामिल करना चाहिए। यह इनके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।
अगर आपकी राशि धनु है तो आपके लिए सर्वांगासन बहुत फायदेमंद है। सामान्यतः गठिया की एक वजह पेट में कब्ज भी है, तो इस आसन द्वारा आप कब्ज कम कर सकते हैं। वहीं पवन मुक्तासन भी गठिया और गैस्ट्रिक के लिए फायदेमंद है। साथ ही पद्मासन और मत्स्यासन से भी इस राशि के लोगों को काफी फायदा पहुंचेगा।
मकरः अंकुरित मूंग खाएं और सूर्य नमस्कार करें
कुंभः सर्दी-जुकाम से बचें, अनुलोम विलोम करें
इस राशि के स्वामी भी शनि देव हैं। इस राशि वालों में जल तत्व की प्रधानता रहती है। इस राशि से छठी राशि कर्क है यह भी जल प्रधान राशि है, इसलिए कुंभ राशि वालों को सर्दी-जुकाम की समस्या अधिक होती है। पाचन संबंधी परेशानी एवं पैरों की हड्डियों में तकलीफ होने की संभावना भी अधिक रहती है।
इस राशि वालों को अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए खाने में दूध, पनीर, सलाद, मछली, मूली, गाजर शामिल करना चाहिए। अगर आपकी राशि कुंभ है तो आप नियमित तौर पर अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी जैसे आसन करें, जल नेती से भी आपको फायदा मिलेगा। इसके अलावा, गरुणासन और नौकासन भी आपके लिए फायदेमंद है।
मीनः हल्की कार्डियो एक्सरसाइज बेहतर रहेगी
इस राशि के स्वामी गुरू हैं। मीन राशि के व्यक्ति खाने-पीने के शौकीन होते हैं। लेकिन अधिक तैलीय एवं मसालेदार भोजन इनके लिए नुकसानदायक होता है। इन्हें मोटापे एवं लीवर से संबंधित समस्या होने की आशंका रहती है। एड़ी एवं पंजे में दर्द अथवा अन्य तरह की समस्या हो सकती है।
इस राशि से छठी राशि सिंह होती है जिससे सिर दर्द एवं मानसिक परेशानियों का भी इन्हें सामना करना पड़ता है। आपको अपने आहार में अधिक से अधिक दूध, सलाद, फल और सब्जियां शामिल करने चाहिए।
अगर आपकी राशि मीन है तो आपके लिए स्वीमिंग, जॉगिंग जैसी हल्की कार्डियो एक्सरसाइज बेहतर हैं। इसके अलावा, आप तितली आसन व सूर्य नमस्कार काफी फायदेमंद हैं।
courtsey:amarujala
ठीक ऐसी ही मान्यता आयुर्वेद में भी है। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना है। ये पांच तत्व हैं पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश। आप गौर करें तो ज्योतिषशास्त्र में राशियों की भी यही प्रकृति बतायी गयी है। उदाहरण के तौर पर कर्क राशि, मीन राशि को जल तत्व धारण करने वाला कहा गया है।
कुण्डली में जन्म राशि कमज़ोर होता है अथवा अन्य ग्रहों से प्रभावित होता है तो व्यक्ति को अपनी राशि एवं राशि को प्रभावित करने वाले ग्रहों से संबंधित रोग आजीवन पीड़ित करता है। लेकिन इससे छुटकारा पाने के भी कुछ उपाय हैं।
इसके लिए आवश्यक है कि आप अपनी राशि के मुताबिक खुद की प्रवृति और तत्व की प्रधानता का विश्लेषण करें। इसके बाद योग विज्ञान के अनुसार अपनी राशि का ध्यान रखते हुए नियमित योगासन और खान-पान के नियमों का पालन करें। आइए देखें कैसे आप अपनी राशि के मुताबिक खुद को स्वस्थ और एक्टिव रख सकते हैं।
मेषः शवासन करें, तेल, मसाले से बचें
इस राशि का स्वामी मंगल है। मंगल उर्जा और शक्ति का ग्रह होता है इसलिए इस राशि के व्यक्ति काफी जोशीले होते हैं। मेष राशि के लोग जोश की वजह से हमेशा जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं जिससे चोट लगने की आशंका अधिक होती है। इन्हें गुस्सा अधिक आता है, सिरदर्द और अनिद्रा की भी शिकायत होती है। इसके अलावा, मेष से छठी राशि कन्या होने के कारण इन्हें दाद और मुंहासे होने की भी अधिक आशंका रहती है।
अगर आपकी राशि मेष है तो आपको खान-पान में अधिक तैलीय एवं मसालेदार चीजों से परहेज रखना चाहिए। खीरा, मूली, पालक इनके लिए लाभकारी होता है। पानी खूब पीना चाहिए इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही, नियमित योग करना चाहिए। इससे चुस्त-दुरूस्त और तंदरुस्त बने रहेंगे।
अनिद्रा और सिरदर्द से छुटकारे व मानसिक शांति के लिए इस राशि के लोग अगर शवासन करेंगे तो उन्हें बहुत आराम मिलेगा। प्रतिदिन पांच से बीस मिनट तक शवासन करने से शरीर की थकान भी गायब हो जाएगी और नींद भी अच्छी आएगी। इसके अलावा, ध्यान व श्वास संबंधी आसन जैसे अनुलोम-विलोम करके भी इस राशि के लोग अपने गुस्से पर नियंत्रण कर सकते हैं।
वृषः ताजी हवा और हरी सब्जियां जरूरी
इस राशि के व्यक्ति पर शुक्र का प्रभाव होता है। यह अपने विचारों में डूबे रहते हैं। अधिक सोच-विचार करने के कारण यह मानसिक तनाव में घिरे रहते हैं। वृष राशि वालों को मुंह और गले से संबंधित रोग होने की संभावना अधिक रहती है। बुढ़ापे में इन्हें लकवा और जलोदर नामक रोग होने की आशंका रहती है।
इस राशि के लोगों को आराम और सुख की अधिक चाहत रहती है। इनके लिए जरूरी है कि यह नियमित कुछ घंटे ऐसे काम करें जिससे शरीर एक्टिव रहे। खाने में इन्हें अनार, दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां एवं बादाम शामिल करना चाहिए। इन्हें एक्टिव और एनर्जेटिक बने रहने के लिए नियमित योग करना चाहिए।
अगर आपकी राशि वृष है तो आपके लिए शुद्ध वायु में योग या व्यायाम बहुत जरूरी है। गले और मुंह से संबंधित समस्याओं से बचाव के लिए नियमित रूप से जलनेती करें तो लंबे समय तक इन दिक्कतों से दूर रहेंगे। हां, जलनेती बिना किसी जानकार के निर्देशन के कभी न करें। इसके अलावा, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, सिंहासन और ब्रह्म मुद्रा भी उनके लिए लाभदायक है। सुबह की सैर, ध्यान और हल्के व्यायाम को भी वे अगर नियमित रूप से अपने रुटीन में ढालेंगे तो उन्हें आराम मिलेगा व मानसिक तनाव कम होगा।
मिथुनः व्यायाम करें और ज्यादा पानी पिएंबुध की इस राशि वाले व्यक्ति चंचल स्वभाव के होते हैं। यह एक साथ सकारात्मक और नकारात्मक विचारों में उलझे रहते हैं। अधिक सोच-विचार करने के कारण इनकी पाचन शक्ति प्रभावित होती रहती है। इनके स्वस्थ रहने का एक मात्र राज है खुश रहना। खुश रहने पर यह बड़ी से बड़ी बीमारी पर भी विजय हासिल कर सकते हैं।
मिथुन राशि वालों को पाचन संबंधी परेशानी के अलावा, छाती से संबंधित रोग जैसे सर्दी, जुकाम होने की आशंका अधिक रहती है। अगर कुण्डली में ग्रह स्थिति अनुकूल नहीं हो तो निमोनिया एवं तपेदिक भी हो सकता है। इस राशि वालों को भोजन में ठंडी चीजों का इस्तेमाल कम करना चाहिए। ताजा भोजन करें और अपने खाने में चना, सोयाबीन, अंडा, मौसमी फल शामिल करें तो इस राशि के व्यक्ति खुद को स्वस्थ रख सकते हैं।
मिथुन राशि के लोग अगर नियमित रूप से व्यायाम करें तो छाती, श्वास संबंधी रोगों से दूर रह सकते हैं। इनके लिए सैर, ऐरोबिक्स और स्वीमिंग जैसे व्यायाम लाभकारी हैं। इन व्यायामों के दौरान यह सावधानी जरूर रखें कि अगर आप दमा के मरीज हैं तो व्यायाम कम समय के लिए करें। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि व्यायाम के साथ-साथ आप अधिक से अधिक पानी का सेवन करें।
कर्कः पाचन पर ध्यान दें, वज्रासन और मृगासन करें
चन्द्रमा की इस राशि के व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं और ख्याली पुलाव खूब पकाते हैं। इनके इस स्वभाव का प्रभाव इनके स्वास्थ्य पर होता है। इस राशि से छठी राशि धनु होने के कारण इन्हें कमर और नाड़ियों से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है। पेट संबंधी रोग, डायबिटीज, पीलिया तथा सर्दी, जुकाम भी इस राशि वालों को होने की आशंका रहती है।
इस राशि वालों को अपने भोजन में दूध, दही, फल, सब्जी, सलाद, नींबू और मेवे शामिल करना चाहिए। सुबह उठाकर खाली पेट पानी पीना इनके लिए लाभप्रद रहता है। इस राशि के लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपनी पाचन क्रिया पर ध्यान दें। उनके लिए वज्रासन और मृगासन काफी लाभदायक हैं। मृगासन मधुमेह के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसके अलावा, यह शरीर को सुडौल बनाता है।
सिंहः गरुड़ासन करें, दूध-मेवे खाएं
सूर्य इस राशि का स्वामी है। इस राशि के व्यक्ति को गुस्सा बहुत जल्दी आता है। घूमना-फिरना इन्हें काफी पसंद आता है। इस राशि के छठी राशि मकर है जिसका स्वामी शनि होता है। शनि के प्रभाव के कारण इस राशि के व्यक्तियों को हड्डियों से संबंधित रोग होने की अधिक संभावना रहती है।
पीठ, कमर एवं रीढ़ की हड्डियों में इन्हें तकलीफ रहती है। कुण्डली में सूर्य अनुकूल नहीं होने पर हृदय रोग की भी आशंका रहती है। इस राशि वालों को अपने भोजन में हरी सब्जियां, दूध, फल एवं मेवे शामिल करना चाहिए।
अगर आपकी राशि सिंह है तो पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने वाले योगासन आपके लिए फिट हैं। आपको गरुणासन, वीरासन और नौकासन से फिट रहने में काफी मदद मिल सकती है। गरुड़ासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और जोड़ों के लिए फायदेमंद है।
इसके अलावा, हाइपोथॉराइड के लिए भी यह आसन बहुत फायदेमंद है। हृदय रोगों से दूर रहें इसके लिए सुबह की सैर आपके लिए सबसे जरूरी है इसलिए इसकी अनदेखी न करें।
कन्याः सूर्य नमस्कार करें, नियमित सलाद लें
बुध की इस राशि के व्यक्ति व्यक्ति कलात्मक विचारों वाले होते हैं। इनके अंदर सेवा की भावना अधिक होती है। इस राशि के व्यक्तियों को त्वचा संबंधी रोग जैसे मुंहासे, दाद होने की संभावना अधिक रहती है। पाचन शक्ति कमज़ोर होती है। इस राशि से छठी राशि कुंभ होती है। इस राशि वालों को पीठ की छोटी हड्डियों में तकलीफ हो सकती है।
कन्या राशि वालों को अपने भोजन में तैलीय एवं मसालेदार चीजों का प्रयोग कम करना चाहिए। इन्हें अपने भोजन में खीरा, मूली, टमाटर, हरी सब्जियां शामिल करना चाहिए। इसके अलावा अधिक से अधिक पानी का सेवन करें जिससे पाचन क्रिया सुचारू रहेगी और त्वचा संबंधी समस्याएं कम होंगी।
अगर आपकी राशि कन्या है तो आपके लिए सूर्य नमस्कार सबसे कारगर है। इसके अलावा, आप ध्यान, शवासन व वज्रासन आदि आसन कर सकते हैं। इन आसनों से आप खुशहाल व तनावमुक्त तो रहेंगे ही, साथ ही आपकी पाचन क्रिया भी सही होगी और त्वचा भी दमकेगी।
तुलाः नशीली चीजों से बचें, गाजर व मटर का सेवन करें
तुला राशि का स्वामी शुक्र है। इस राशि के व्यक्ति सजने-संवरने के शौकीन होते हैं। इनमें काम की भावना अधिक पायी जाती है। इस राशि से छठी राशि मीन राशि होती है। इस राशि वालों को डायबिटीज, पथरी, गुर्दे का रोग एवं गुप्तांगों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं होने की आशंका रहती है।
तुला राशि वालों को नशीली चीजों से परहेज रखना चाहिए। तैलीय और चिकनाई वाले पदार्थ का सेवन कम करना चाहिए। गाजर, चुकंदर, मटर, अंजीर और दूध का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए उत्तम रहता है।
पथरी व गुर्दे की समस्याओं से बचाव के लिए आप हलासन, धनुरासन, योगमुद्रासन, भुजंगासन, शलभासन और पश्चिमोत्तानासन कर सकते हैं।
वृश्चिकः साग और हरी सब्जियां खाएंमंगल की इस राशि का स्वामी है जो रक्त का कारक भी माना जाता है। इस राशि के व्यक्तियों को रक्त से सबंधित रोग होने की आशंका रहती है। वृश्चिक राशि की महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव एवं कष्ट होता है। अगर मंगल की स्थिति अच्छी हो तो इसमें कमी आ सकती है। इस राशि से बारहवीं राशि तुला होती है इससे नेत्र संबंधी रोग होने की संभावना अधिक रहती है।
इस राशि वालों को अपने भोजन में साग और हरी सब्जियों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। पपीता, चुकंदर, पालक भी इनके लिए लाभप्रद होता है। इस राशि की महिलाओं को अगर पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द या पीरियड्स में अनियमितता होती है तो वे हनुमानासन व रजो मुद्रा से आराम पा सकती हैं।
धनुः झुककर न चलें, सर्वांग आसन करें
इस राशि के स्वामी गुरू हैं। इस राशि वाले अगर अपने पोश्चर पर ध्यान न दें तो झुककर चलने की आदत पड़ जाती है जिससे रीढ की हड्डियों एवं कमर में तकलीफ होती है। इन्हें वायु विकार, गठिया, साईंटिका और लिवर से संबंधित रोग होने की भी अधिक संभावना रहती है।
इस राशि वालों को हल्का भोजन करना चाहिए। इन्हें अपने भोजन में दूध, दही, चना, केला एवं पपीता शामिल करना चाहिए। यह इनके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।
अगर आपकी राशि धनु है तो आपके लिए सर्वांगासन बहुत फायदेमंद है। सामान्यतः गठिया की एक वजह पेट में कब्ज भी है, तो इस आसन द्वारा आप कब्ज कम कर सकते हैं। वहीं पवन मुक्तासन भी गठिया और गैस्ट्रिक के लिए फायदेमंद है। साथ ही पद्मासन और मत्स्यासन से भी इस राशि के लोगों को काफी फायदा पहुंचेगा।
मकरः अंकुरित मूंग खाएं और सूर्य नमस्कार करें
इस राशि के व्यक्ति मेहनती होते हैं। शनि इस राशि का स्वामी होता है। शनि कुण्डली में शुभ स्थिति में नहीं होने पर इन्हें घुटने एवं पैरों में तकलीफ होती है। जोड़ों का दर्द इन्हें परेशान करता है।
इस राशि से छठी राशि मिथुन होती है जिससे इन्हें मूत्राशय एवं त्वचा से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है। इस राशि वालों को अपने आहार में पनीर, नारियल, पालक, खीरा एवं ककड़ी शामिल करना चाहिए। अंकुरित मूंग भी इनके लिए लाभप्रद होता है। अगर आपकी राशि मकर है तो आप उत्तानपाद आसन करें, इससे आपको बहुत फायदा होगा। इसके अलावा, सूर्य नमस्कार से आप दिन भर फ्रेश रहेंगे और त्वचा दमकेगी। |
इस राशि के स्वामी भी शनि देव हैं। इस राशि वालों में जल तत्व की प्रधानता रहती है। इस राशि से छठी राशि कर्क है यह भी जल प्रधान राशि है, इसलिए कुंभ राशि वालों को सर्दी-जुकाम की समस्या अधिक होती है। पाचन संबंधी परेशानी एवं पैरों की हड्डियों में तकलीफ होने की संभावना भी अधिक रहती है।
इस राशि वालों को अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए खाने में दूध, पनीर, सलाद, मछली, मूली, गाजर शामिल करना चाहिए। अगर आपकी राशि कुंभ है तो आप नियमित तौर पर अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी जैसे आसन करें, जल नेती से भी आपको फायदा मिलेगा। इसके अलावा, गरुणासन और नौकासन भी आपके लिए फायदेमंद है।
मीनः हल्की कार्डियो एक्सरसाइज बेहतर रहेगी
इस राशि के स्वामी गुरू हैं। मीन राशि के व्यक्ति खाने-पीने के शौकीन होते हैं। लेकिन अधिक तैलीय एवं मसालेदार भोजन इनके लिए नुकसानदायक होता है। इन्हें मोटापे एवं लीवर से संबंधित समस्या होने की आशंका रहती है। एड़ी एवं पंजे में दर्द अथवा अन्य तरह की समस्या हो सकती है।
इस राशि से छठी राशि सिंह होती है जिससे सिर दर्द एवं मानसिक परेशानियों का भी इन्हें सामना करना पड़ता है। आपको अपने आहार में अधिक से अधिक दूध, सलाद, फल और सब्जियां शामिल करने चाहिए।
अगर आपकी राशि मीन है तो आपके लिए स्वीमिंग, जॉगिंग जैसी हल्की कार्डियो एक्सरसाइज बेहतर हैं। इसके अलावा, आप तितली आसन व सूर्य नमस्कार काफी फायदेमंद हैं।
courtsey:amarujala
kai accha to tha magar mai etne din apke sath tha apne kabhi tauras ke bare me kuch nahi btaya
shivchand vishwakarma
varanASI